करवा चौथ का महत्व और पूजन विधि

करवा चौथ (Karva Chauth) : महत्व और पूजन विधि

Oct 14, 2024Cycle Care

करवा चौथ का त्यौहार पूरे उत्तर भारत में मनाया जाता है। हिन्दू पञ्चांग के अनुसार, यह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। जो की इस बार 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह पर्व विशेष रूप से विवाहित स्त्रियां ही मनाती हैं। सभी सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए करवाचौथ  का व्रत करती हैं। करवाचौथ व्रत में करवे का खास महत्त्व होता है। यह दिन सभी सुहागिनों के लिए बहुत ही खास दिन माना जाता है। सभी स्त्रियाँ इस व्रत का साल भर इंतजार करती है। तो आइये अब इस व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में जानते है।

करवाचौथ पूजा मुहर्त - 

20 अक्टूबर 2024 - शाम 05:47 से 07:04 मिनट तक रहेगा 

करवाचौथ पूजा सामिग्री - 

करवाचौथ पूजन के लिए मिट्टी या तांबे का करवा और ढक्कन, पान, सींक, कलश, अक्षत, चंदन, फल, पीली मिट्टी, फूल, हल्दी, सिंदूर, श्रृंगार का सामान, जल का लोटा, दूध का लोटा, नारियल, मिट्टी का दीपक, छलनी, करवा कथा की पुस्तक या कलेंडर, कुमकुम, रोली आदि चीजों की आवश्यकता होती है। 

करवाचौथ व्रत की पूजा विधि -

प्राचीन काल से ही इस व्रत का बहुत ही महत्व है। कहा जाता है कि जो स्त्रियाँ करवाचौथ का व्रत विधि अनुसार श्रद्धा भाव से करती है। उन्हें व्रत का फल अवश्य मिलता है तो जानिए करवाचौथ का व्रत कैसे करे। 

1 - करवाचौथ के दिन सुबह जल्दी सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके सासु माँ द्वारा भेजी गयी सरगी (फल, कपडे , गहने , खाना, पानी ) ठीक से ग्रहण करें। 

2 - उसके बाद सासु माँ के चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें। 

3 - अब सूर्य को नमस्कार करके जल चढ़ाकर, घर पर शिव परिवार की स्थापना करें और निर्जल व्रत करने का सकल्प लें। 

4 - ध्यान रहे कि व्रत वाले दिन आपको बिल्कुल भी नहीं सोना चाहिए कहा जाता है कि सोने से व्रत खंडित हो जाता है। 

5 - सोलह श्रंगार कर दुल्हन की तरह तैयार हों। 

6 - अब उत्तर पूर्व दिशा में करवाचौथ माता की मूर्ति स्थापित करें अगर आपके पास मूर्ति नहीं है तो बाजार से कलेंडर लाके भी लगा सकते है। 

7 - अब माता गौरी के नाम का सोलह श्रंगार और लाल रंग की चुनरी एक पूजा की थाली में सजाये इसके बाद मिटटी के कलश में पानी भरकर माँ गौरी के सामने रखले 

8 - और अब पुरे विधि विधान के साथ शिव परिवार की पूजा करें। और करवाचौथ की कहानी सुनें। करवाचौथ की कहानी आप कलेंडर से भी पढ़ सकते है। और यूट्यूब से भी सुन सकते है। 

9 - उसके बाद श्रंगार का सामान, खाना, कपडे और दक्षिणा भेट करें और आशीर्वाद ले। 

10 - रात को 08 बजे के बाद चन्द्रमा निकल जाने पर मिटटी के कलश से चन्द्रमा को अर्घ दें और छलनी से चाँद देखकर पति का चेहरा देखें और आरती करे। और पति के हाथ से जल ग्रहण करके व्रत को पूरा करें।  

कहा जाता है कि एक सुहागिन स्त्री किसी देवी से कम नहीं होती है। ऐसे बहुत सरे उदाहरण अभी तक हमने सुने हुये है जिसमें माता सीता, माँ पारवती, सावित्री, माता अनसुइया, वीरावती और भी बहुत सी शक्तियाँ ने अपनी पतिव्रता धर्म को निभाया और अर्धांगिणी होने का पूर्ण सहयोग किया। इसलिए करवाचौथ व्रत को बहुत ही मन और सिद्दत के साथ विधि विधान से करे और अपने पति की दीर्घ आयु की कामना करें। भगवान सबकी मनोकामना पुरे करें।

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