होली की कहानी ( Holi Story )

होली की कहानी ( Holi Story )

Feb 29, 2024Soubhagya Barick

होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली रंगों का तथा हँसी-खुशी का त्योहार है। यह भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है, जो आज विश्वभर में मनाया जाने लगा है।

इस वर्ष होली Friday, 14 Mar, 2025 को है।

होली मनाने के पीछे सबसे ज्यादा प्रचलित कथा है कि यह त्यौहार हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के मारे जाने की स्मृति में मनाया जाता है। होलिका दहन के बाद ही होली मनाई जाती ।

हिरण्यकश्यप के मरने से पहले ही होलिका के रूप में बुराई जल गई और अच्छाई के रूप में भक्त प्रहलाद बच गए। - उसी दिन से होली को जलाने और भक्त प्रहलाद के बचने की खुशी में अगले दिन रंग गुलाल लगाए जाने की शुरुआत हो गई। इस प्रकार होली श्री विष्णु भक्त प्रह्लाद के बच जाने की खुशी में भी मनाई जाती है।

होली पूजन सामग्री  ( Holika Pujan Samagri) -

होली की पूजा सामग्री (Holika Pujan Samagri) लिस्ट में होली से एक दिन पहले मनाए जाने वाले होलिका दहन अनुष्ठान को करने के लिए आवश्यक पूजा वस्तुयें शामिल हैं। आइये विस्तार से पूजा सामग्री सूची के बारे में जाने और जरुरत की चीजें खरीदें।

1- गोबर के उपले - Cow Dung Cakes 

2- सुखी लकड़ी - Dry Wood Sticks 

3- सुखी घास - Dry Grass/Straw 

4- कलावा - Raw Cotton Thread 

5- कपूर - Camphor 

6- माचिस - Matchsticks or Lighter

7- हल्दी - Turmeric 

8- अक्षत - Whole Rice Grains 

9- रोली और कुमकुम - Kumkum 

10- फूल - Flowers 

11- बतासे - Batasha 

12- गुड़ - Gur (Jaggery) 

13- नारियल - Coconut 

14- गेहूं - Wheat Grains or Barley Grains 

15- अगरबत्ती - Incense Sticks 

16- घी - Ghee 

17- कलश - Water Pot 

18- प्रसाद - Prasad 

19- धूप - Dhoop

20- लाल कपडा - Red Cloth Piece

 

पौराणिक होली कथा (History Of Holi Story)

पुराणों के अनुसार ,प्राचीन समय में हिरण्यकश्यप नामक एक असुर था जो भगवान विष्णु का कट्टर दुश्मन माना जाता था लेकिन उसका खुद का पुत्र प्रह्लाद विष्णु जी का सबसे बड़ा भक्त था । उसकी भक्ति को देखकर हिरण्यकश्यप बहुत कुपित रहा करता  था। वह चाहता था कि प्रह्लाद उसकी शक्ति को माने और विष्णु की पूजा न करके उसकी पूजा करे।

प्रह्लाद ने ऐसा करने से मना कर दिया। तब हिरण्यकश्यप उसे नाना प्रकार से मार डालने की योजना बनाने लगा। श्री विष्णु कृपा से प्रहलाद हर बार बच जाता था। तब हिरण्यकश्यप के क्रोध का अंत न रहा।

 उसने अपनी बहन होलिका से प्रह्लाद को जलाकर मार डालने की प्रार्थना करने लगा। उसकी बहन होलिका को यह अशीर्वाद था कि वह अग्नि में नहीं जल सकती । अतः उसने अपनी बहन को मनाया कि वह प्रह्लाद को गोद मे लेकर अग्नि में बैठ जाये। अग्नि उसे छू भी न सकेगी लेकिन प्रह्लाद उस अग्नि में भस्म हो जाएगा।

बहन ने अपने भाई की बात मान ली और एक नियत समय पर वह प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठी । उसने अग्नि का आह्वान किया। आश्चर्यजनक रूप से होलिका उस अग्नि में बुरी तरह झुलस गई जबकि भक्त  प्रह्लाद साफ साफ बच गया।

इस प्रकार बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में देश भर में होली मनाई जाती है।

कहते हैं कि हिरण्यकश्यप के जीते जी ही बुराई का कैसे अंत होता है उसने देखा कि , होलिका के रूप में बुराई जल गई और अच्छाई के रूप में भक्त प्रहलाद बच गए। - उसी दिन से होली को जलाने और भक्त प्रहलाद के बचने की खुशी में अगले दिन रंग गुलाल लगाए जाने की शुरुआत हो गई। 

इसलिये गुलाल लगाने से पहले होलिका दहन का रिवाज बन चुका है ।

रंग - गुलाल लगाना जीवन में उत्साह का प्रतीक माना जाता है। सभी मे भाई - चारा स्थापित होता है। विभिन्न प्रकार के पकवान बनते हैं जो आपसी प्रेम के कारण एक दूसरे को खिलाये जाते हैं।

कई जगहों की होली भी बहुत प्रसिद्ध हैं। ब्रज की होली और बरसाने की होली पूरी दुनियाभर में प्रसिद्ध है। राजस्थान में स्थित उदयपुर में शाही ठाठ बाठ से मनाई जाती है।

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