champa shashti story

चंपा षष्ठी Champa Shashti की पूजा विधि, कथा और महत्व

Mar 14, 2024Soubhagya Barick

चम्पा षष्ठी champa shashti मार्गशीर्ष माह के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह त्यौहार भगवान शिव के अवतार माने जाने वाले भगवान खंडोबा या खंडेराव को समर्पित है।यह त्यौहार मुख्यतः महाराष्ट्र और कर्नाटक में धूमधाम से मनाया जाता है।

Champa Shashti 2024: Sat, 7 Dec, 2024

चंपा षष्ठी Champa Shashti पूजा सामग्री-

चंपा षष्ठी Champa Shashti की पूजा भगवान कार्तिकेय के लिए की जाती है। ज्यादातर यह त्यौहार महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में महत्वपूर्ण माना जाता है। यहाँ चंपा षष्ठी पूजा के लिए जरुरी सामग्री Champa Shashti Puja Items List  की सूची दी गई है- 

  1. भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या चित्र
  2. कलश (पानी भरा हुआ पवित्र घड़ा)
  3. नारियल Coconut Husk (पूरे छिलके के साथ)
  4. पान के पत्ते (10-20)
  5. सुपारी
  6. केले  (पूजा के लिए एक गुच्छा)
  7. फल  (सेब, अनार, संतरा, अंगूर, आदि)
  8. फूल (लाल या पीले जैसे गेंदे, चमेली, कमल आदि)
  9. माला (फूलों की या रुद्राक्ष की)
  10. अगरबत्ती Agarbatti
  11. कर्पूर Camphor (आरती के लिए)
  12. दीपक Ghee Diya (तेल या घी का)
  13. चावल Rice (अक्षत के लिए)
  14. हल्दी पाउडर Turmeric Powder
  15. कुमकुम Kumkum Paste
  16. चंदन Chandan Powder
  17. अक्षत (हल्दी व घी से मिला हुआ चावल)
  18. शहद
  19. गुड़
  20. पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, और चीनी का मिश्रण)
  21. कच्चा दूध
  22. घी (शुद्ध मक्खन)
  23. लड्डू या मोदक (भगवान कार्तिकेय का प्रिय प्रसाद)
  24. मोरपंख (भगवान कार्तिकेय का प्रतीक)
  25. आरती की थाली 

         

        चंपा षष्ठी पूजा विधि (Champa Shashti Puja Vidhi):

        1. सबसे पहले अपने पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ करें।
        2. भगवान कार्तिकेय की मूर्ति लें अगर मूर्ति नहीं है तो चित्र भी बना सकते है और उसे लाल या पीले वस्त्र के साथ स्थापित करें।
        3. उसके बाद एक कलश लें और कलश को पानी से भरें, उसमें आम के पत्ते रखें और नारियल के साथ अच्छी तरह से सजा कर रखें 
        4. अपने पूजा स्थल को फूलों और रंगोली बनाकर अच्छे से सजाएँ।
        5. चंपा षष्ठी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ और सुन्दर वस्त्र धारण करे।
        6. भगवान कार्तिकेय की पूजा और व्रत का संकल्प लें।
        7. पूजा सामग्री तैयार करे 
        8. और भगवान कार्तिकेय का ध्यान करके पूजा और आरती करें 
        9. भगवान कार्तिकेय की कपूर और दिया से आरती करें । 
        10. पूजा करने के बाद चंपा षष्ठी व्रत कहानी सुनें या पढ़ें।
        11. भगवान से अपने और परिवार के सुख, शांति, और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।

        चंपा षष्ठी Champa Shashti मंत्र जाप:

        "ॐ श्री स्कंदाय स्वाहा।"

        "ॐ कर्तिकेयाय नमः।"

         

        चंपा षष्ठी की कहानी Champa Shashti Story-

        भगवान खंडोबा किसानों , चरवाहों ,लड़ाकों और शिकारियों के पूज्यनीय हैं।मान्यताओं के अनुसार , एक राक्षस था उसका नाम मल्ल था।  राक्षस मल्ल और उसके छोटे भाई मणि ने वहाँ के स्थानीय लोगों पर बहुत अत्याचार करना शुरु कर दिया था । सभी त्राहिमाम करने लगे । उन्होंने शिव जी का पूजन किया। कहते हैं कि उन दुष्टों  से मुक्त कराने के लिए एक क्रूर योद्धा खंडोबा के   रूप में अवतार लिया था।

        अतःइस दिन को इन दो दुष्ट भाइयों पर खंडोबा (भगवान शिव के अवतार) की जीत के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार छः दिन तक मनाया जाता है क्योंकि छठवें दिन जाकर युद्ध में विजय की प्राप्ति हुई थी। 

        भक्त आमतौर पर छह दिनों तक हर दिन एक शिव मंदिर जाते हैं और भगवान शिव की पूजा करने के लिए सब्जियां, फल, सेब के पत्ते और हल्दी पाउडर चढ़ाते हैं। अंतिम दिन, हल्दी पाउडर के अलावा, बहु-अनाज आटे और गेहूं के आधार से बने व्यंजन भगवान को चढ़ाए जाते हैं।

        खंडोबा, खंडेराया, मल्हारी मार्तंड आदि नामों से जाने जाने वाले, वह महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों के अधिकांश लोगों के पारिवारिक देवता हैं। निम्न वर्ग से लेकर ब्राह्मण तक सभी उनकी पूजा करते हैं। दोनों नामों की समानता के कारण "खंडोबा" और "स्कंद"। कुछ लोग खंडोबा को स्कन्द का अवतार मानते हैं।

        पुणे में स्थित खंडोबा मंदिर में हजारों लोग दर्शन हेतु आते हैं। इस मंदिर की विशेषता है कि चारों तरफ पीला ही पीला नजर आता है हल्दी पाउडर के कारण। मुख्य चढावा हल्दी पाउडर ही है।

        चंपा षष्ठी का महत्व Champa Shashti Importance -

        चंपा षष्ठी Champa Shashti के दिन भगवन कार्तिकेय की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व होता है क्योकि चंपा षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय ने असुर "तारकासुर" का वध किया था। इसलिए इस दिन को बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पुरे भाव की पूजा से जीवन में सफलता, सुख, और कष्टों से मुक्ति मिलती है।

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